चाहे गर्भपात आप किसी भी कारण से कराना चाहती हो, जरूरी यह है गर्भपात की सही विधि का आपको ज्ञान होना आवश्यक है।
केवल घरेलू नुस्खे से गर्भपात कि सोच रखना जैसे – पपीते के बीज से गर्भपात, कच्चे पपीते से गर्भपात शायद उपयुक्त तरीका साबित नहीं होगा
हां… कुछ रिसर्च का यह मानना जरूर है गर्भावस्था में पपीते का सेवन अथवा पपीते के बीजों को खाना अर्ली लेबर पेन तथा गर्भाशय में संकुचन को बढ़ाता है। जिससे गर्भपात भी हो सकता है।
मगर क्या पपीते से गर्भपात कराना उत्तम होगा, क्या कोई ऐसा तरीका भी है जिससे बिना किसी असुविधा के गर्भपात किया जा सके,
अगर आप अनचाही प्रेगनेंसी को लेकर चिंतित है तथा पपीते के बीज से गर्भपात करने की सोच रही है चलिए जानते हैं पापिते से गर्भपात कैसे होगा? या गर्भपात की सही विधि क्या है
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पपीते के बीज से गर्भपात की वजह
बात अभी की नहीं है बल्की पुराने समय से ही लोग गर्भपात में पपीते का सेवन खासकर इसके बीजों तथा कच्चे पपीते का उपयोग करते आए हैं
हालांकि, वैज्ञानिक परीक्षणों में यह सामने आया हैं पके पपीते का सेवन गर्भवास्था में बिल्कुल भी नुकसानदायक नहीं है बल्कि यह गर्भवास्था में लाभदायक राहत है।
कच्चे पपीते के बीजों में लेटेक्स और पेपेन नाम का तत्व अधिक मात्रा में रहता, पके पपीते के मुकाबले तथा शोधो में यह सामने आया है गर्भावस्था में लेटेक्स और पेपेन का सेवन गर्भवती और शिशु दोनों के लिए नुकसानदायक रहता हैं।
इसलिए केवल गर्भपात के लिए यदि आप पपीते का सेवन करने वाली हैं तो यह बिल्कुल भी उचित नहीं होगा, शायद इससे गर्भपात भी ना हो अथवा गर्भवती अपूर्ण गर्भपात का शिकार बन जाए – अपूर्ण गर्भपात के लक्षण और उपचार
गर्भावस्था में पपीते के फायदे एवं नुकसान
जब कोई महिला गर्भवती होती है तो खास उन्हें पपीते के सेवन से दूर रहने को हिदायत दी जाती है क्योंकि इससे गर्भपात का खतरा रहता…
…लेकिन क्या आप जानती हैं प्रेगनेंसी में पपीता लाभदायक भी रहता है पूरी तरह पका हुआ पपीता,
लेटेक्स एक प्रकार का तत्व जो पपीते में रहता हैं। इसका सेवन प्रोस्टाग्लैंडइन और ऑक्सीटॉसिन हार्मोन की तरह कार्य करता है जो रेस्पिरेट्री डिसऑर्डर्स को कंट्रोल करने में सहायता करता है।
पके पपीते विटामिन ए, बी, सी और बेटा कैरोटीन जैसे तत्वों से भरपूर होता हैं ये एंटीऑक्सीडेंट के भी अच्छे स्रोत है जो इम्यूनिटी को भी बूस्ट करता है।
पपीते में मौजूद विटामिन सप्लाई, इम्यूनिटी बढ़ाता है जो वायरस इन्फेक्शन से हमें बचने में भी सहायता करता है।
विटामिन सी से भरपूर होने के कारण अल्सर और स्किन प्रॉब्लम में भी सहायता करता हैं।
पपीते में मौजूद फाइबर डाइजेशन में सहायता करता है वैसे भी यह कॉमन प्रॉब्लम है जो प्रेगनेंसी के दौरान गर्भवतीयों में होती है पपीते का सेवन इसे आसानी से ठीक कर सकता है।
पपीते का सेवन मॉर्निंग सिकनेस में भी सहायता करता है। इसमें फोलिक एसिड भी होता है जो प्रेगनेंसी में शिशु के न्यूरोलॉजिकल डेवलपमेंट के लिए जरूरी रहता है
पपीते का सेवन दिल की बीमारियों में भी सहायता करता है यह कॉलोन कैंसर से भी बचाता है
उचित मात्रा में पके पपीते का सेवन ब्रेस्टफीडिंग महिलाओं में दूध की कमी दूर करता है।
गर्भावस्था में पपीते के नुकसान
यदि पपीते का सेवन सीमित मात्रा में ना किया जाए तो इसके अनेकों दुषपरिणाम देखने को मिल सकता है। जैसे –
संकुचन पैदा करता
कच्चे पपीते, पपीते के बीजों में लेटेक्स और पेपैन नामक तत्व अधिक मात्रा में पाया जाता हैं। जो प्रोस्टाग्लैडिंन और ऑक्सीटोसिन हार्मोन को स्टूमुलेट करता हैं। गर्भाशय में संकुचन और प्रीमेच्योर लेबर का कारण बनता है। इसका अधिक मात्रा में सेवन मिसकैरेज भी करा सकता हैं।
अविकसित शिशु
पैपसिन और पेपैन शिशु को भी प्रभावित करता है। शोधों के मुताबिक प्रेगनेंसी में कच्चा पपीता खाना गर्भधारण करने को रोकता है जिसे प्रेगनेंसी लॉस, पोस्ट-इंप्लांटेशन और शिशु को भी प्रभावित करता है।
शिशु के कोशिकाओं को कमजोर
पेपैन का उपयोग कोशिकाओं के क्षरण में किया जाता है। क्योंकि यह एक तरह का प्रोटियोलेटिक एंजाइम है, यह कोशिकाओं के विकास में अड़चन पैदा करता है जो शिशु के विकास में भी बाधा पहुंचाता हैं।
रक्त स्त्राव सूजन
अधपके पपीते का सेवन, वस्कुलर प्रेशर को बढ़ाता है। ये शरीर के अंदर रक्त स्त्राव, इंटरनल ब्लीडिंग का कारण भी करा सकता है। प्लेजेंटा ब्लीडिंग और रक्त स्त्राव, प्रेगनेंसी और डिलीवरी संबंधी समस्या दे सकता हैं। इसका मतलब पपीता शिशु के विकास और प्लेजेंटा के फंक्शन को भी प्रभावित करता है।
अफेक्ट नर्वस सिस्टम
पपीते के पत्तों और बीजों में कॉरपेन होता है। जो एक टॉक्सिक पदार्थ हैं यह सेंट्रल नर्वस सिस्टम को भी हानि पहुंचता है।
अबॉर्तीफिशिएंट
पेपेन और चीमोपेपेन ये दो तरह के एंजॉम पपीते में मौजूद होते हैं। यह दोनों भ्रूण के विकास को डायरेक्टली अफेक्ट करते हैं। साथ ही गर्भपात का कारण भी बनते हैं।
स्टिम्युलेट एस्ट्रोजन प्रोडक्शन
पपीते में मौजूद पेपेन मेस्चूरल सायकल ( मासिक धर्म ) को रेगुलेट करने में सहायता करते है। चुंकि गर्भावस्था में तो मासिक चक्र नहीं होता, इसलिए इस समय वेजाइनल ब्लीडिंग होना गर्भपात या एक्टोपिक प्रेग्नेंसी का कारण होता है। पपीता शरीर के तापमान को भी बढ़ाता है और एस्ट्रॉजन को भी बढ़ा देता हैं।
क्या गर्भावस्था में पपीता खाना चाहिए
सीमित मात्रा में पके पपीते का सेवन बेनिफिशियल रहता है। गर्भवतियां भी इसका सेवन बिना संकोच कर सकती हैं पर पपीता पका हुआ होना चाहिए।
- पपीते का जूस पी सकते हैं।
- स्मूदी बना कर सेवन कर सकते हैं
- पपीते का फल का सेवन कर सकते हैं
गर्भपात करने की सही विधि
गर्भपात से पहले सावधानी रखना आवश्यक है। चाहे आप गर्भपात के लिए घरेलू नुस्खा अपनाने जाए या कोई मेडिकल हेल्प ले। हमारी सलाह रहेगी आप घरेलू नुस्खों जैसे पपीते के बीजों से गर्भपात की जगह मेडिकल अबॉर्शन का उपाय ही चुने..
हालांकि, गर्भपात करने से पूर्व कुछ सावधानिया आपको जरुर रखना चाहिए…
- प्रेगनेंसी में गर्भपात जितनी जल्दी करेंगे उतना सही रहेगा।
- आपातकाल के समय मेडिकल हेल्प ले
- घरेलू नुस्खे से बचें
- डॉक्टर के निर्देश से गर्भपात करे
मेडिकल अबॉर्शन
यदि आप 10 सप्ताह से कम की गर्भवती होंगी तो मेडिकल अबॉर्शन जिसमें कुछ दवाइयों के माध्यम से प्रेगनेंसी टर्मिनेट की जाती है प्रयोग कर सकते है। इसमें किसी तरह की सर्जरी की जरूरत नहीं पड़ती। Mifepristone तथा misoprostal इन दोनों मेडिसिन का उपयोग मेडिकल अबॉर्शन में किया जाता हैं।
सर्जिकल अबॉर्शन
सर्जिकल अबॉर्शन को 10 सप्ताह से अधिक हो चुके प्रेगनेंसी को रोकने में किया जाता हैं। ये दो प्रकार के होते हैं – एस्पिरेशन अबॉर्शन, डाईलेशन एंड इवेक्यूशन अबॉर्शन, गर्भपात के बाद आप घर भी जा सकती है।
गर्भपात के लिए मेडिकल अथवा सर्जिकल अबॉर्शन कराना ही बेस्ट रहता हैं। ये 100 % गारंटी के साथ आते है। इन्हें वैज्ञानिक रूप से भी गर्भपात करने के लिए उत्तम माना जाता है। अतः आप जायफल से गर्भपात करने की जगह इसका उपयोग करें
Hindiram के कुछ शब्द
पपीते के बीज से गर्भपात कैसे करें – देखिए गर्भपात के लिए किसी भी प्रकार का घरेलू नुस्खा अपनाना सही नहीं, इससे गर्भपात तो नहीं लेकिन आपके लिए जानलेवा साबित हो सकता हैं। आप गर्भपात के लिए सही तरीके उपयोग करें