आजकल नए parents की जिज्ञासा इतनी बढ़ गई की वे इंटरनेट पर सबसे ज्यादा सर्च करते, कैसे पहली तिमाही में एक लड़का होने के लक्षण अथवा लड़की होने के लक्षण कैसे जाना जा सकें…!
2012 की एक रिपोर्ट के मुताबिक 69% पैरंट्स जानने के लिए बेताब रहते उनके शिशु का लिंग क्या है? 77.8 % क्यूरियोसिटी के कारण, 68% तो बस जानना चाहते हैं और 66.8% parents इसलिए क्योंकि आज की टेक्नोलॉजी उन्हें यह सुविधा प्रदान करती है वे जन्म से पहले ही अपने शिशु का लिंग जान सकते हैंं
भारतीय कानून जन्म के पूर्व किसी भी शिशु के लिंग को जांचने की अनुमति नहीं देता, बाहर आपको बहुत से ऐसे टेस्ट मिल जाएंगे जो दावा करेगें, आपके शिशु के लिंग बताने का जिनका कोई वैज्ञानिक आधार भी नहीं होता है इसलिए आपको उनसे सावधान रहने की जरूरत है।
आज हम आपको उन तकनीको के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनपर वैज्ञानिक शोध भी किए जा चुके हैं। जिससे पहली तिमाही में एक लड़का या लड़की होने के लक्षण आसानी से जान सकते हैं जैसेे अल्ट्रासाउंड और सोनोग्राफी की मदद से –
Table of Contents
सोनोग्राफी : पहली तिमाही में एक लड़का होने के लक्षण | Pehli timahi me ak ladhka hone ke lakshan
पहली तिमाही में यदि आप अल्ट्रासाऊंड या सोनोग्राफी टेस्ट कराएं होगें तो इन 5 signs को देखकर गर्भ में लड़का होने की पुष्टि कर सकते है (ultrasound report of boy)
टर्टल साइन ( Turtle sign )
सेजिटल साइन ( Sagittal sign )
इरैक्ट पेनिस ( Eract penise )
यूरिन फ्लो ( Flow of upward urin)
लिंग ( penise )
शुरूआत में baby boy और baby girl दोनों में ही लिंग की नामौजूदगी रहती है इसलिए शुरूआत में यह जान पाना शिशु लड़का है या लड़की मुश्किल होता है। हालांकि, कई बार शिशु के जननांग सोनोग्राफी रिपोर्ट में साफ दिख जाते हैं जिससे आप शिशु का जेंडर आसानी से जान सकते है। लेकिन शुरूआत में baby boy और baby girl के जननांग एक ही आकार और प्रकार के दिखते हैं जिसे केवल एक योग्य निरीक्षक ही समझ सकता है
सोनोग्राफी : पहली तिमाही में ladhki होने के लक्षण
यदि आप ultrasound report में एक लड़की के होने की पुष्टि करना चाहते है तो आपको नीचे दिए गए 2 signs की खोज करनी चाहिए
हैमबर्गर साइन ( Hamburger sign )
सेजिटल साइन ( Sagittal sign )
पहली तिमाही में एक लड़का या लड़की होने को कैसे पहचानें | baby boy in womb symptom
हाई कैलोरी डाइट लेना – High calories diet lakshan ladka hone ke
कुछ शोधों में पता चला कि, महिलाए, जो concive करने के समय हाई कैलोरी डाइट लेती थी उन्होंने baby boy को जन्म दिया था।
रिसर्चर्स का कहना हैं 56% गर्भवतियां जिन्होंने concive करने के बाद हाई कैलोरी कंज्यूम किया था 45% के मुकाबले उन्होंने baby boy को जन्म दिया।
इसके पीछे वजह यह बतायी जाती है – लड़को को ज्यादा चीजों की जरूरत होती है ” ज्यादा कैलोरी की भी ” इसलिए हायर कैलोरी डाइट लड़का होने का लक्षण है।
कपल्स का साथ रहना – couples ka sath rahna ladka hone ke lakshan
गर्भवतियां जो कंसीव करने के बाद भी अपने साथी के साथ रहती उन्हें लड़का होने के ज्यादा चांस रहते हैं
USA में हुए एक शोध, जिसमें 86,000 बच्चों के जन्म को जांचा गया ( 1959 से 1988 तक ) लगभग 51.5% माताएं जो कंसीव करने के बाद अपने साथी के साथ रही उन्होंने लड़के को जन्म दिया था।
गर्भवति को ज्यादा भूख – food craving child birth prediction
गर्भ में लड़का है या लड़की आपकी भूख सब जानती है!
एक शोध जिसने गर्भवतियों के खाने पर शोध किया था, उन्होंने पाया जिन गर्भवतियों ने baby boy को जन्म दिया वे 10% ज्यादा कैलरी लेती थी।
ज्यादा भूख क्यों? रिसर्च बताते हैं यह बेबी बॉय के टेस्टोस्टरॉन हार्मोन (testosterone hormone) के कारण होता है। जो गर्भवती मां को सिग्नल देता हैं अधिक खाने की और शायद इसीलिए अधिकतर baby boy, girl के मुकाबले बड़े रहते हैं।
मनपसंद खाने से परहेज – manpasand khane se parhej baby boy symptoms in pregnancy
कुछ शोधकर्ता बताते हैं गर्भवतीया जो अपने मनपसंद खाद्य पदार्थों के प्रति अरुचि प्रकट करती है उतनी ही अधिक आशंका रहती है लड़का होने की
खाने के प्रति अनिच्छा होना भी शिशु की सुरक्षा के लिए होता है। रिसर्चर्स बताते अत्यधिक संवेदनशील बेबी की सुरक्षा के लिए माताओं को कुछ खाद्य पदार्थों के प्रति अरुचि होने लगती हैं।
आंतों में डायबिटीज – intestinal diabetes ladka hone ke lakshan
कुछ रिसर्च में पाया गया, जिन गर्भवतियों ने baby boy को जन्म दिया वे खासकर आंतो के डायबिटीज का शिकार हो जाते है।
यह प्रेगनेंसी की ऐसी कंडीशन है जहां खून में ग्लूकोस की मात्रा अधिक हो जाती हैं उनके मुकाबले जो बेबी गर्ल से प्रेग्नेंट होते हैं।
शोधकर्ताओं को आज भी ज्ञात नहीं, क्यों बेबी बॉय होने से प्रेगनेंसी में मेटाबोलिक चेंजेज अधिक होते हैं। जबकि बेबी गर्ल के साथ ऐसा ज्यादा नहीं होता। इस अध्ययन को अनेकों शोधों द्वारा समर्थन भी किया जाता है।
जरुर देखे – तीसरी तिमाही में एक लड़का होने की पहचान
पहली तिमाही में लड़की होने के लक्षण – ladki hone ke lakshan
हाइपरमेसिस ग्रेविडेरम – hyperemesis gravidarum girl baby prediction
सभी माताएं गर्भवास्था में मॉर्निंग सिकनेस महसूस करती हैं। लेकिन कुछ अत्याधिक ही इसकी चपेट में आ जाती है। पेट की ऐंठन और उल्टी से परेशान जिसे हाइपरमेसिस ग्रेविडेरम भी कहते हैं।
इसके कारण weight loss होना, मालनूट्रिशन कमी और dehydration का शिकार भी हो जाती है। लेकिन इसको लड़की होने का लक्षण भी बताया जाता हैं।
कुछ शोध का कहना हैं जो माताएं baby girl से प्रेग्नेंट रहती है उन्हें पेट की ऐंठन और उल्टी जैसी समस्या आत्याधिक ही परेशान करती हैं
रिसर्चर्स का मानना है यह सब pregnancy harmon के कारण होता है। जो फीमेल फीटस के कारण अत्याधिक प्रोड्यूस होता हैं।
अत्याधिक भूलने लगी – memory loss lakshan ladki hone ke
पता नहीं क्यों, कुछ रिसर्चर्स दावा करते हैं जो महिलाएं बेबी गर्ल से प्रेग्नेंट होती हैं उनके याद रखने की क्षमता बहुत कम हो जाती हैं। मुकाबले उनके जो बेबी बॉय से प्रेग्नेंट रहती
इसलिए अगली बार यदि आप कुछ चीजें भूल जाए तो आप आपने pregnancy brain को दोष दे सकती हैं। जो बेबी गर्ल के कारण होता हैं।
अत्याधिक स्ट्रेसड रहना – stressed rehna ladki hone ke lakshan
बेबी गर्ल दुर्गम परिस्थिति के लिए ज्यादा वल्नरेबल रहती है इसलिए कंसीव करने के बाद यदि आप अत्याधिक स्ट्रेसड रहने लगे तो चांसेस रहते आपको बेबी गर्ल होगी।
2019 में हुए एक छोटे शोध में पाया गया माताएं जो अधिक शारीरिक और मानसिक रूप से पीड़ित थी उन्होंने लड़की को जन्म दिया।
दूसरे शब्दों में कहा जाए तो अत्याधिक मानसिक तौर पर पीड़ित गर्भवतीयां अधिकतर baby girl को जन्म देती हैं।
सिर ऊपर पांव नीचे – breach baby
अगर आपकी प्रेगनेंसी को 32 सप्ताह हो चुके हैं और अभी भी आपके शिशु का सिर ऊपर और पांव नीचे है तो यह लड़की होने का लक्षण हैं।
2015 के एक शोध में शोधकर्ताओं ने पाया हंगरी देश में 1996 से 2011 के बीच हुए बर्थ जिसमें शिशु का सिर ऊपर और पैर नीचे था। सभी लड़कियां थी।
गर्भ में लड़का या लड़की कैसे होते है – baby boy and girl | ladka ya ladki hone ke lakshan
वैसे तो भारत में कानूनी तौर पर जन्म के पूर्व शिशु का लिंग gender check कराने की इजाजत नहीं हैं। और शायद जानकारी के अभाव में लोग जानते भी नहीं, गर्भ में शिशु का लिंग निर्धारित कैसे होता? एक शिशु बेबी बॉय या गर्ल कैसे बनता है?
जीव विज्ञान के अनुसार लिंग निर्धारण में महिला तथा पुरुष यौन गुणसूत्र जिसे ” सेक्स क्रोमोसोम ” कहते हैं अहम भूमिका निभाते है। महिला तथा पुरुष दोनों में अलग-अलग गुणसूत्र पाए जाते हैं
महिलाओं में [ XX ] प्रकार की गुणसूत्र (chromosome) मौजूद रहते हैं तो पुरुषों में [ XX ] [ XY ] प्रकार के गुणसूत्र (chromosome) मौजूद होते है।
लड़का या लड़की का निर्धारण – baby boy and girl child birth prediction
अंडाणुओं तथा शुक्राणुओं में यौन गुणसूत्र मौजूद रहते हैं जो फर्टिलाइजेशन के समय मिलते और उसी समय यह निर्धारण होता की बेबी ब्वॉय होगा या गर्ल
बेबी गर्ल : महिलाओं के [ XX ] chromosome जब पुरुषों के [ XX ] chromosome से मिलते हैं तब यह लड़की का विकास करते है।
बेबी ब्वॉय : जब महिलाओं के [ XX ] chromosome पुरुषों के [ XY ] chromosome के साथ मिलते हैं तो यह लड़के का विकास करते हैं।
लड़के के जन्म के लिए क्या करना चाहिए – how to get a baby boy
इसलिए यदि आप oviulation के समय या उसके बाद संबंध स्थापित करते हैं तो लड़के होने की संभावना अधिक हो जाती है।
लिंग निर्धारण के एक शोध में सामने आया, संभोग की अवस्था भी लिंग निर्धारण करती है। लड़के के जन्म के लिए पुरूष को महिला के ऊपर से संभोग करना चाहिए जिससे शुक्राणु महिला के योनि में अंदर तक जाए, इसे oviulation के दिनों में किया जाना चाहिए।
लड़के के जन्म के लिए आहार – food to eat to get pregnant with a boy
जिंक : जिंक टेस्टोस्टरॉन पुरुष हार्मोन बढ़ाने के लिए जाना जाता है इसलिए यदि गर्भवास्था में जिंक की मात्रा भरपूर लिया जाय तो बेबी बॉय का जन्म हो सकता हैं।
केला : नर शुक्राणुओं को स्वस्थ रखने के लिए पोटैसियम महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। और केला पोटेशियम का बहुत अच्छे स्रोत माना जाता है
हाई कैलोरी : कुछ शोध बताते हैं ज्यादा कैलोरी वाले भोजन जिसमें ग्लूकोज की मात्रा अधिक रहती है लड़के होने की संभावना बढ़ा देते हैं।
लड़की के जन्म के लिए क्या करना चाहिए – how to get a baby girl
जिन विवाहित जोड़ों को बेबी गर्ल होने की चाहत है, यदि वे ओवुलेशन के कुछ दिन पहले संभोग करते हैं तो उन्हें लड़की हो सकती है।
तथा जिन दंपत्तियों को लड़की होने की चाहत होती, वे यदि कम कैलोरी वाले भोजन लेते हैं तो लड़की होने की संभावना अधिक बढ़ जाती है।
अधिक से अधिक संभोग बिना किसी दिन दिवस निर्धारण के करे तो लड़की होने की अधिक संभावना रहती हैं।
लड़की के जन्म के लिए आहार – food to eat to get pregnant with a girl
पत्तेदार सब्जियों: पत्तेदार सब्जियों में मौजूद पोषक तत्व महिला गुणसूत्रों को स्वस्थ रखते हैं इसलिए इनका सेवन लड़की का जन्म में मदद करता हैं।
बींस : बींस जैसे – राजमा, सेम, सोयाबीन आदि महिला हार्मोन के स्राव को बढ़ाते हैं जिससे भी लड़की होने की संभावना बढ़ जाती है।
Quick summary : लेख का सार
ladka hone ke lakshan | अल्ट्रासाउंड में लड़का पैदा होने के लक्षण जानें
- टर्टल साइन : अल्ट्रासाऊंड रिपोर्ट में कछुए जैसा चिन्ह दिखाई पड़ना पेट में लड़का होने का संकेत होता है।
- हैमबर्गर साइन
- सेजिटल साइन
- इरेक्ट पेनिस
- यूरिन फ्लो
- शिशु का लिंग
Hindiram के कुछ शब्द
पहली तिमाही में एक लड़का होने के लक्षण अथवा लड़की होने के लक्षण आपको विभिन्न संकेतो के माध्यम से मिल सकते हैं बस आपको pehli timahi me ak ladhka hone ke lakshan या ladhki hone ke lakshan को पहचानना होगा