यूं तो गर्भवती जीवन अनेक उतार चढ़ावों सी घिरा रहता, यहां सभी चीज मायने रखता है, आपने क्या खाया, क्या पिया, क्या पहना यहां तक कि जो कुर्सी पर बैठ कर आपने कार्य किया वह भी…
यद्यपि गर्भावस्था का मूल लक्ष्य शिशु का विकास है जहां नौ महीने शिशु पूर्ण रूप से विकसित होता, इस समय शिशु का विकास सही भोज्य पदार्थों तथा पोषक तत्वों पर निर्भर रहता है
शायद यही कारण है, गर्भवती के भोजन में परिवर्तनो का – प्रेग्नेंसी में कौन सी सब्जियां नहीं खानी चाहिए तथा कौन सी सब्ज़ियों खानी चाहिए।
केवल ध्यान योग्य बात यह है, कुछ सब्ज़ियां जो समान्य दिखती, परन्तु गर्भवतीयो के लिए बिल्कुल फायदेमंद नहीं रहती। इसके विपरित यह अपने प्रभाव दिखाता है।
परन्तु लोग सत्य से अनभिज्ञ है – प्रेग्नेंसी में कौन सी सब्जियां नहीं खानी चाहिए, और फिर सब्ज़ियों के हानिकारक होने जैसी अफ़वाए भी व्याप्त है।
इसलिए आज हम इसी सत्य को जानेंगे, प्रेग्नेंसी में कौन सी सब्जियां नहीं खानी चाहिए तथा कौन सी सब्ज़ियों खाने योग्य है। चालिए सत्य जानते है:
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गर्भवती के लिए हानिकारक ये सब्जियां | pregnancy me kon se sabjiya nhi khani chahiye
प्रेग्नेंसी में कच्चे तथा अधपके सब्ज़ियों का सेवन नहीं करना चाहिए। बैगन, पत्ता गोभी, अंकुरित अनाज, करेला, कच्छे पपीते इत्यादि से बनी सब्जियां गर्भवती महिलाओ के लिए नुकसादायक रहता हैं इनसे गर्भपात की आशंका भी रहती है।
प्रेग्नेंसी में बैगन की सब्जी क्यों नहीं खानी चाहिए
100 ग्राम बैगन में अपको
- कैलोरी – 25
- कार्बोहाइड्रेट – 6 ग्राम
- प्रोटीन – 1 ग्राम
- फाइबर – 3 ग्राम
- सोडियम – 2 मिली ग्राम
- पोटैसियम – 299 मिली ग्राम
- विटामिन सी – 3 % RDI
- आयरन – 1 % RDI
- विटामिन B6 – 5%
- मैग्नेशियम – 3 %
अक्सर यह बात कही जाती, प्रेगनेंसी में बैंगन नहीं खाना चाहिए, परन्तु सत्य ये है आप प्रेग्नेंसी में भी बैंगन खा सकते है।
रही बात प्रेग्नेंसी में बैगन के हानिकारक होने कि तो यह भी सत्य है यदि आप सीमित मात्रा से अधिक बैगन का सेवन करते है तो गर्भवती को दुष्प्रभाव भी देखने को मिल सकता है।
प्रेगनेंसी में बैगन खाने के नुकसान
प्रीमेच्योर डिलीवरी: सब्जियों को धोना आवश्यक हैं। बैगन जिस मिट्टी में उगता है उसमें टॉक्सोप्लास्मोसिस (toxoplasmosis) अत्याधिक रहता, जो प्रीमेच्योर डिलीवरी का कारण बनता है। इस लिए बैगन को पकने से पूर्व अच्छे से धोना और पकाना आवश्यक है
एलर्जी की समस्या: बहुत से केसो में देखा गया, प्रेग्नेंसी में बैंगन का सेवन अधिक मात्रा में करने पर प्रेग्नेंट महिला को एलर्जी जैसी समस्या होने लगती है। इससे पहले आपको बैगन से कोई एलर्जी हो या ना हो इससे हल्की खुजली होने जैसी समस्या होने लगती है।
एसिडिटी: अत्यधिक बैगन खाने से प्रेग्नेंट महिलाओं को एसिडिटी हो जाती हैं इससे जी मचलने और एंजायटी जैसी समस्या भी हो सकती है हाई एसिडिटी दूर रखने के लिए अधिक मात्रा में बैगन का सेवन करने से बचें
प्रेग्नेंसी में बैगन की सब्जी खाने के फायदे
भ्रूण का विकास: बैगन में विटामीन सी, विटामिन बी कांपलेक्स, और niacin जैसे पोषक तत्व रहते, ये भ्रूण विकास में मदद करता है। साथ ही मिनरल्स जैसे – पोटैसियम, कॉपर, आयरन, मैगनिज रहता है जो इलेक्ट्रोलाइट बैलेंस करते और ब्लड सप्लाई तथा हीमोग्लोबिन भी बढ़ाते हैं।
बूस्ट इम्यूनिटी: बैगन की बाहरी परत में nasunin रहता, ये एंटीऑक्सीडेंट शरीर में फ्री रेडिकल सामान्य रखते और प्रेग्नेंसी में cell और DNA डैमेज से भी बचाता हैं। बैगन से इम्यूनिटी बढ़ती है इसमें मौजूद nasunin शिशु को गर्भ में होने वाली बीमारियों से बचाता है।
उच्च रक्तचाप से बचाता: प्रेग्नेंसी में रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) की समस्या अत्याधिक रहती है। बैगन रक्तचाप के लिए आयुर्वेदिक रेमेडी है इसमें मौजूद बायोफ्लेवोनॉयड्स (bioflavonoids) ब्लड प्रेशर कम कर दिल स्वस्थ रखता है।
पाचन क्रिया सही रखता: इसमें कोई शक नहीं महिलाएं प्रेगनेंसी में पाचन संबंधी समस्याओ से गुजरती है। गैस और कब्ज हमेशा ही आम रहते है। बैगन डाइटरी फाइबर का अच्छा स्रोत है जो पाचन मजबूत रखने में मदद करता हैं।
भ्रूण डिफेक्ट से बचाता: बैगन में फोलिक एसिड रहता, जो प्रेग्नेंट महिलाओं को अत्याधिक जरूरत रहती, यह बच्चे के विकास में मदद करता उसे विकलांगता तथा न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट से बचाता है।
प्रेग्नेंसी में स्प्राउट खाने के नुकसान
एक कप किडनी बीन्स स्प्राउट्स 94 ग्राम सर्विंग में
- कैलोरी – 53
- कार्बोहाइड्रेट – 8 ग्राम
- प्रोटीन – 8 ग्राम
- फैट – 1 ग्राम
- विटामिन सी – 79%
- फोलेट – 27%
- आयरन – 8%
यदि एक सामान्य व्यक्ति अंकुरित अनाज सब्जियां खाये उसे ब्लड शुगर लेवल नियंत्रित रखने में सहायता मिलती है। परन्तु गर्भवती के लिए अंकुरित तथा कच्छे अनाज को सेवन कभी बिल्कुल भी सही नहीं रहता।
जाने क्यों!
कच्चे स्प्राउट्स में हार्मफुल बैक्टीरिया रहते
एक समस्या जो अंकुरित अनाज खाने वालों को होती, फूड प्वाइजनिंग यही वजह है जिस कारण बहुत से लोग इसे पका कर खाना पसंद करते है ।
अंकुरित अनाज के हानिकारक बनने की वजह से इसे बनाने में लगने वाला वातावरण- हल्का गर्म, नमी युक्त जिसके कारण ही इनमें हानिकारक बै्टीरिया जैसे E.coil और salmonella आ जाते है।
बीते 2 दशकों में यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने लगभग 48 बार फूड पॉइजनिंग फैलने का आंकलन स्प्राउट्स खाने की वजह से किया है। स्प्राउट्स प्रभाव 12 से 72 घंटों के भीतर मिल जाते हैं। पेट में ऐठन, डायरिया, उल्टी मतली सामान्यत: स्प्राउट्स खाने के प्रभाव होते है।
जरूरी बात: सामान्य मनुष्य के लिए स्प्राउट हानिकारक ज्यादा नहीं, परन्तु बच्चे तथा गर्भवती महिला जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है उन्हें इसका सेवन बिलकुल नहीं करना चाहिए
अगर वे करना चाहे तो अंकुरित अनाज धो कर, तल या अच्छे से पका कर ही करे, जिससे किसी प्रकार की एलर्जी की समस्या ना आए
स्प्राउट के फायदे
कुछ वैज्ञानिकों का कहना है अनाज अंकुरित होने से इसमें कार्बोहाइड्रेट मात्रा बढ़ जाती, स्प्राउट खाने से अमलाइज एंजाइम बढ़ जाता, जो अंततः ब्लड शुगर लेवल कम रखने में मदद करता है।
अंकुरित अनाज में इनसोल्युबल फाइबर होते हैं जो पाचन को आराम देते हैं तथा कब्ज जैसी समस्याओं से राहत भी पहुंचाते हैं
स्प्राउट खाने से हृदय स्वस्थ बनता है क्युकी इससे LDL कम तथा HDL बढ़ जाता है।
प्रेग्नेंसी में करेले की सब्जी खाने के नुकसान
एक कप करेला 94 ग्राम
- कैलोरी 20
- कार्बोहाइड्रेट 4 ग्राम
- फाइबर 2 ग्राम
- विटामिन सी 93%
- विटामिन ए 44%
- सॉलिड 17%
- पोटेशियम 8%
- जिंक 5%
- आयरन 4%
करेले में मौजूद कुछ पोषक तत्व फायदे मंद है तो कुछ हानिकारक
करेले में सबसे ज्यादा विटामिन सी रहता, जो प्रेग्नेंसी में महिलाओं के लिए सबसे जरूरी पोषक तत्वों में एक है। जो हड्डियों को मजबूती प्रदान करता है।
इसमें विटामिन ए भी रहता, जो स्किन हेल्थ सही रखता है साथ ही इसमें फोलेट folate भी रहता, जो बच्चे के विकास में मदद करता है।
करेले के नुकसान
जैसे किसी भी चीज की अति हानिकारक रहती हैं करेले का भी सेवन यदि सीमित मात्रा में हो तो इसके फायदे जरूर होंगे।
परंतु करेले का अधिकतर मात्रा में सेवन, इसके दुष्प्रभावो की ओर अग्रसर करता है।
करेले का अत्याधिक सेवन पेट दर्द, उल्टी मतली तथा डायरिया जैसी बीमारियों का कारण बनता है। इसी लिए प्रेग्नेंट महिलाओं को इसका सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए:
प्रेगनेंसी में करेले के नुकसान
सेंसटिविटी
करेले का सेवन गर्भावस्था में favism बढ़ता है मतलब कि शरीर शरीर में लाल रक्त कोशिकाये खत्म होने लगता, जो इसमें मौजूद vicine के कारण होता है।
लाल रक्त कोशिकाओं के खत्म होने से एनीमिया जैसी बीमारियों के लक्षण आने लगते हैं। जो गर्भवास्था में बिल्कुल भी अच्छा नहीं, जिसके कारण प्रेगनेंसी में करेले का अत्याधिक सेवन से मनाही कि जाती है।
हालांकि अगर आप प्रेग्नेंसी में करेला खाना चाहे तो इसकी सीमित मात्रा में ले सकते है, इसकी सीमित मात्रा आप अपने डॉक्टर से परामर्श कर सकते है।
टॉक्सिसिटी
करेले में quinine, monordica, glycosides में नाम के मॉलिक्यूल रहते हैं ये शरीर के लिए हानिकारक रहते, तथा गर्भवास्था में जहर जैसा कार्य करते है।
गर्भावस्था में इनका सेवन पेट दर्द, उल्टी, थकान, जी मचलने जैसी समस्या फैदा कर सकता है।
स्टमक प्रॉब्लम
गर्भावस्था में करेले का सेवन पेट दर्द, अनपचन, डायरिया जैसी बीमारियों का कारण बन सकता है, खासकर करेले के बीज का सेवन गर्भवती को बिल्कुल नहीं करना चाहिए।
करेले के बीज में vicine नाम का यौगिक पदार्थ रहता है। जो favicm फैविज्म (लाल रक्त कोशिकाओं का नष्ट होना) हो सकता है।
जिसके कारण आपको बुखार, जी मिचलाना, एनीमिया, पेट दर्द जैसी समस्या होने लगती है। इसके बावजूद करेला खाना फायदा भी करता है।
गर्भावस्था में कितना करेला खा सकते हैं
आप जान चुके हो, गर्भावस्था में करेले का सेवन हानिकारक है यदि फिर भी आपको प्रेगनेंसी में करेला खाना है तो थोड़ी बहुत मात्रा खा सकते हैं सप्ताह में 1 से 2 बार यदि इससे कोई दुष्प्रभाव दिखे तो उसी समय इसका प्रयोग छोड़ दे
करेला जूस का सेवन
गर्भावस्था में करेला जूस पीना कॉन्ट्रक्शन बढ़ा देते हैं जिससे बिल्डिंग की समस्या होने लगती है और समझदारी इसी में होगी कि गर्भावस्था में आप करिए जूस का सेवन बिल्कुल ना करें
प्रेग्नेंसी में करेला खाने के फायदे
ब्लड सूगर कम करता
आयुर्वेदिक गुणों की वजह से करेले को मधुमेह, डायबिटीज जैसी बीमारियों के लिए उपयोग किया जाता है। इसकी जांच के लिए कुछ सालो पहले शोध भी किया गया था।
इस शोध में 24 लोगों को 3 महीने तक 2000 mg करेले का सप्लीमेंट लेने को दिया गया। जिससे ब्लड शुगर और हीमोग्लोबिन a1c को कम होता पाया गया
करेले का सेवन से शरीर में इंसुलिन कि मात्रा सामान्य रखता है। जो ब्लड शुगर लेवल को कम रखने में मदद करता है।
ब्रेस्ट कैंसर से लड़ने में सहायता
करेले में कैंसर जैसी बीमारी से लड़ने के लिए पोषक तत्व मौजूद होते हैं। वैज्ञानिकों ने पाया करेले का सेवन पेट तथा फेफड़ों के कैंसर से लड़ने में सहायता करता है। तथा ब्रेस्ट कैंसर को होने तथा बढ़ने से भी रोकता है।
वजन करने कम करने में सहायक
करेले का सेवन वजन कम करने में सहायक माना जाता है। क्योंकि इसमे कैलोरी कम तथा फाइबर की मात्रा अधिक होती है। 2 ग्राम फाइबर 94 ग्राम की सर्विंग में
यह फाइबर आंतों में धीरे धीरे बढ़ता, जिससे पेट पेट भरा रहता है, और भूख लगने जैसी समस्या भी नहीं आती। इसलिए अधिक कैलोरी वाले भोजन की जगह करेला वजन कम करने में बहुत सहायक होता है।
प्रेग्नेंसी में गोभी पत्ता सब्जी क्यों नहीं खाना चाहिए
पत्ता गोभी गर्भावस्था में महिलाओं को लेने से मना किया जाता है पर यह सच में पत्ता गोभी का सेवन नुकसान दायक है:
- कैलोरी 25
- फाइबर 3 ग्राम
- विटामिन सी से 70 गांव
- राइटिंग इन के 20 ग्राम
- विटामिन बी सिक्स 11 ग्राम
- सॉलिड 14 ग्राम
- फोटो पत्नी कैसेट 7%
- पोटेशियम 9 प्रतिशत
- मैग्नी 60%
- मैग्नीशियम 435
- फास्फोरस 4%
पत्ता गोभी में बहुत कम कैलरी होती, साथ ही इसमें विटामिन्स की भरपूर मात्रा मिलती है पत्ता गोभी में आपको वह सभी विटामिन और मिनरल मिल जाएंगे जो गर्भवास्था में गर्भवती को जरूरत होती हैं।
प्रेग्नेंसी में पत्ता गोभी खाने के नुकसान
जिन महिलाओं को पथरी और गठिया संबंधी रोगों की शिकायत हो, गर्भावस्था में खासकर उन्हें पत्ता गोभी खाने से परहेज़ करना चाहिए।
इसमें मौजूद purine नामक पदार्थ गर्भवास्था में पथरी और गठिया जैसे रोगों का कारण बनता है। बहुत जगह तो पत्तागोभी की खेती में दवाइयों का उपयोग अत्याधिक किया जाता है
न्यूरोटॉक्सिंस यदि यह गर्भ में शिशु तक पहुंचता है तो इससे अनुनासिक बीमारी का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए ऑर्गेनिक उगाए हुए पत्ता गोभी खरीदे।
जरूरी बात: कच्चे पत्ता गोभी का सेवन गर्भवास्था में पेट की समस्या फूड प्वाइजनिंग भी करा सकता है इससे होने वाली गैस की समस्या आपको लेबर पेन जैसे भी लग सकता जिससे आपको हॉस्पिटल भी जाना पड़ सकता है।
अत्याधिक पत्ता गोभी खाने के नुकसान
पत्ता गोभी खाने पर एलर्जी बहुत कम होती, लेकिन कुछ लोगों को खाने पत्ता गोभी खाने से – खुजली, चेहरे तथा हाथों में सूजन, स्वांस लेने में दिक्कत आदि समस्याएं देखने को मिल जाती हैं
आपको ऐसा कोई लक्षण दिखे तो डॉक्टर से तुरन्त मिले। पत्ता गोभी खाना कुछ लोगों को एसिडिटी और कब्ज की समस्या भी दे सकता है। गर्भावस्था में जिन महिलाओं को इसकी शिकायत पहले से हो, पत्ता गोभी खाने से परहेज करें
गोभी पत्ते में हार्मफुल बैक्टीरिया और परसाइट्स मौजूद होते जो आपको पेट संबंधी बीमारियां, फुड पॉइजनिंग दे सकते हैं।
जरूरी बात: पत्ता गोभी खाने से पहले इसे अच्छे से धो तथा पका कर खाना चाहिए, जिससे इसमें मौजूद बैकटीरिया और पैरासाइट्स खत्म हो जाए। वैसे पत्ता गोभी खाने के फायदे भी होते है।
पत्ता गोभी खाने के फायदे
पत्ता गोभी में फोलेट अधिक मात्रा में मिलता है जो बेबी के विकसित होने में मदद करता है
फाइबर से भरपूर
पत्ता गोभी से आपको लगभग सभी फाइबर मिल जाएंगे जिसकी जरूरत आपको प्रेग्नेंसी में होती है। एक का पत्ता गोभी में आपको 3 ग्राम फाइबर मिल जाता है यह आपके रोजाना के 10% का है और गर्भावस्था में आपको इसकी जरुरत भी है।
पत्ता गोभी के फाइबर कब्ज जैसी समस्याओं से राहत प्रदान करते हैं। यदि आपको कब्ज जैसी समस्याएं हैं तो पत्ता गोभी आपकी मदद कर सकता है। गैस जैसी समस्या हो तो बिल्कुल ना ले
कई शोधों में पाया गया, पत्ता गोभी में मौजूद फाइबर हृदय संबंधी रोगों, कैंसर और डायबिटीज जैसे रोगों से लड़ने में सहायता प्रदान करते हैं।
एंटीऑक्सीडेंट का अच्छा स्रोत
गोभी एंटीऑक्सीडेंट का अच्छा स्रोत है जो शरीर की कोशिकाओं को हार्मफुल फ्री रेडिकल से बचाता है
गोभी पत्ता में खासकर ग्लूकोसिनोलेट्स और isothiocyanats नाम के एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं जिन्हें कैंसर जैसी बीमारियों को खत्म तथा कम करने के लिए जाना जाता है। ये ब्रेस्ट तथा प्रोस्टेट कैंसर से बचाव भी करता है।
पत्ता गोभी में विटामिन सी की मात्रा भी अधिक रहती जो रोग प्रतिरोधक क्षमता का भी विकास करता हैं।
हाई इन कोलीन (cholin)
पत्ता गोभी में कोलीन की मात्रा भी अधिक रहती है। प्रेग्नेंसी में महिलाओं को इसकी कमी अक्सर होती है। सिर्फ प्रेगनेंट महिलाओं को नहीं बल्कि समान्य मनुष्यों में कमी रहती है।
एक कप पत्ता गोभी में 45 मिलीग्राम कोलीन मिल जाता है जो रोजाना कि मात्रा का 11% है कोलीन शरीर की कोशिकाओं को बनाए रखने तथा DNA सिंथेसाइस और मेटाबॉलिज्म सपोर्ट करता हैं।
ये दिमाग में न्यूरोट्रांसमीटर कि संख्या में बढ़ोतरी करता जो दिमागी विकास के लिए भी बहुत जरूरी रहता है।
जो व्यक्ति कोलीन नहीं लेता, उसको लीवर, हार्ट, और अल्जाइमर जैसे रोगों में भी मदद करता है।
जरूरी बात: पत्ता गोभी ब्लड प्रेशर भी कम करता है, जो अक्सर प्रेग्नेंसी तीसरी तिमाही में बढ़ जाता है। इसमें फास्फोरस भी रहता जो हड्डियों को मजबूत बनाता है।
प्रेग्नेंसी में पपीता खाने के नुकसान
- कैलोरी – 59
- कार्बोहाइड्रेट – 15 ग्राम
- फाइबर – 3 ग्राम
- प्रोटीन – 1 ग्राम
- विटामिन सी – 157%
- विटामिन ए – 33%
- फोलेट (विटामीन बी9) – 14%
- पोटेशियम – 11%
थोड़ी-थोड़ी मात्रा में कैल्शियम, मैग्नीशियम, विटामीन B1, B3, B5, E और K
ध्यान रखने योग्य बात ये है, सभी तरह के पपीते हानिकारक नहीं होते केवल कच्चा पपीता ही प्रेगनेंसी के लिए हानिकारक होता है।
कच्चे पपीते से गर्भवति को नुकसान
कच्चे पपीते का सेवन प्रेगनेंसी में प्रीमेच्योर डिलीवरी करा सकता है, जिससे समय से पहले लेबर पेन और शिशु का जन्म करा सकता है
कच्चे पपीते में मौजूद पपैन (papain) गर्भ में शिशु के कवच को कमजोर बनता है जिससे शिशु को क्षति पहुंचने की संभावना होती है
इसलिए प्रेग्नेंसी में भूल कर भी कच्चे पपीते का सेवन नहीं करना चाहिए, हालांकि पके हुए पपीते का सेवन प्रेग्नेंसी में लाभदायक रहता है।
प्रेग्नेंसी में पपीते खाने से फायदे
एंटी ऑक्सीडेंट रहता
गर्भावस्था में शरीर का मेटाबॉलिज्म फ्री रेडिकल बनने लगता हैं, जो अनेकों बीमारियों का कारण भी बनता है। पके पपीते में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट जैसे कैरोटिनॉइड फ्री रेडिकल बनने से रोकता है।
पाचन बढ़ाता
पपीते में मौजूद एंजाइम भोजन पाचन में मदद करता है। यहां तक कि पपीते को कब्ज जैसी समस्याओं के लिए बेहतर रेमेडी भी माना जाता है। जो आपको पेट संबंधी रोगों से दूर करता है।
स्क्रीन डैमेज नहीं होने देता
शरीर के फ्री रेडिकल त्वचा तथा चेहरे पर होने वाले बिमारियों की मुख्य वजह मानी जाती है। फ्री रेडिकल्स की वजह से झुरिया दाग धब्बे जैसी समस्या होती है। पपीते में मौजूद विटामिन सी लाइकोपीन स्किन डैमेज से बचाता है।